मैं सोचता बहुत कम हूँ
खासकर पैसे के बारे में
क्योंकि मेरे पास अब बहुत पैसा है
पैसा तो है
पर आसपास आवरण है
उसके भीतर
मेरा खोखला आदर्श
दम्भपूर्ण आत्मविश्वास .
मुझे याद है
जब मैंने कभी 'चालू चाय ' के लिए
कहा था
तो एक क्षण ख्याल आया था
अपनी हैसियत का .
और जब स्पेशल पी गया , शंका के साथ
अपनी और बेयरे की भूल से
और चूका नहीं पाया उसकी कीमत
तब तमाशबीन भीड़ के बीच
जब
मेरे झुकने का एहसास मुझे हुआ था
तब और उसके बाद
मेरे पेट पर पडी थी घुटनों की टक्कर
यह मेरे कपड़ों पर थी
पैसे वाले मालिक की
और उसके कानूनदार साथी की
मुझपर और बेयरे पर
तब मैंने पैसे के बारे में सोचना शुरू कर दिया
हाँ , बेयरे के बारे में नहीं कह सकता
वह , अब भी वहीँ है , मेरी होटल में .
मैंने गलती से उच्चशिक्षा में दाखिला लिया
वैसे तो मन की आग भी नहीं बुझती
पर तन की भूख के आवरण में मेरा तन
उच्चघराने की बहू - बेटियों को देखकर
उस छटपटाहट के जख्म मैंने आज भी बो रक्खे हैं
अपने सीने में
तब मैंने सोचा ये नारी तो नहीं
मैं इन्हें नहीं पा सकता
इनका मापदंड पैसा है
और मैं आदमी ज्यादा हूँ
फिलहाल .
तब मैंने औरतों के बारे में
बंद कर दिया
और शुरू कर दिया सोचना
पैसे के बारे में , सिर्फ पैसे के बारे में
मेरे स्वयं के बिकने की वजह मिल गयी थी मुझे .
वो अब भी वहां महफ़िल जमती है
पर मैं
यहीं पर अकेला ठीक हूँ
मैं बाँटकर पीता जरूर हूँ
पर जहर नहीं
और फिर यह मेरा तब का खून है
जब मैं आदमी था
मुझे याद है मेरे बाप की ईमानदारी पर हँसे थे ये
मेरी लेडीज घड़ी पर हँसे थे
मुझे समय का एहसास हुआ था
और मैंने सोची थी उन गरीब मन की दयनीयता
और मैं हँसने वाला था ,
पर उससे पहले कोई हंस दिया था जोर से
और फिर मैं स्वयं भी हंस दिया
अपनी फटी कॉलर पर .
और मैंने अब सोचना शुरू कर दिया
फिर से पैसों के बारे में .
अपने लौटने में एक करीब की टेबल पर पड़ा
बटुआ उठा लिया मैंने और दरवाजे से
बाहर आकर भी अब मैं लगातार सोच रहा था
पैसे के बारे में
अपने बारे में सोचना मैंने बंद कर दिया है
वैसे भी मैं खोयी हुई चीजों के बारे में
कम ही सोचता हूँ .