आदमी के चेहरे पर
लिखा होता है ?
कौन है ?
क्या करता है ?
हर चेहरा मुखौटा
लगता है
हँसी , उदासी
मासूमियत
कुटिलता , लाचारी
इश्कबाज़ी
के अनेक रंगों से सजा
रोता-गाता
चीखता-चिल्लाता
डराता-धमकाता
गरियाता-रिरियाता
कभी
भिखारी की दयनीय सूरत
साधुता की पवित्र मूरत
षड्यंत्र की कुटिल मुस्कराहट
सुन्दरी की मंद-स्मित
भावपूर्ण भंगिमा
नेता की कृत्रिम गर्मजोशी
या उत्तेजक सम्बन्धों की ठंडक लिए
आपका अपना रिश्ता , पड़ोसी
फिर , ऐनवक्त आपसे ज़्यादा व्यस्त
आपका दांत-काटी रोटी वाला यार
खाने में ज़्यादा नमक से
और उग्र हो गया
जन्म-जन्मांतर का प्यार
शब्दों की चाशनी में लिपटा
झूट,
सत्य के रस से
भी बहुत ज्यादा मीठा
हो गया है
मुझे तुम्हारा चेहरा
अच्छा नहीं लगा
मधुमेह का रोगी जो ठहरा
क्या ?
कल मिष्ठान-भण्डार पर
तर-माल खाते देखा था ?
आपको ज़रुर गलतफहमी हुई है
मैं कहाँ
मेरा मुखौटा था !
मुझसे मिलता-जुलता था !!
लिखा होता है ?
कौन है ?
क्या करता है ?
हर चेहरा मुखौटा
लगता है
हँसी , उदासी
मासूमियत
कुटिलता , लाचारी
इश्कबाज़ी
के अनेक रंगों से सजा
रोता-गाता
चीखता-चिल्लाता
डराता-धमकाता
गरियाता-रिरियाता
कभी
भिखारी की दयनीय सूरत
साधुता की पवित्र मूरत
षड्यंत्र की कुटिल मुस्कराहट
सुन्दरी की मंद-स्मित
भावपूर्ण भंगिमा
नेता की कृत्रिम गर्मजोशी
या उत्तेजक सम्बन्धों की ठंडक लिए
आपका अपना रिश्ता , पड़ोसी
फिर , ऐनवक्त आपसे ज़्यादा व्यस्त
आपका दांत-काटी रोटी वाला यार
खाने में ज़्यादा नमक से
और उग्र हो गया
जन्म-जन्मांतर का प्यार
शब्दों की चाशनी में लिपटा
झूट,
सत्य के रस से
भी बहुत ज्यादा मीठा
हो गया है
मुझे तुम्हारा चेहरा
अच्छा नहीं लगा
मधुमेह का रोगी जो ठहरा
क्या ?
कल मिष्ठान-भण्डार पर
तर-माल खाते देखा था ?
आपको ज़रुर गलतफहमी हुई है
मैं कहाँ
मेरा मुखौटा था !
मुझसे मिलता-जुलता था !!
वाह....
जवाब देंहटाएंकहा एक दम सच......
तभी ना खुद का चेहरा भी आईने में पहचाना ना गया......
सादर.
शब्दों की चाशनी में लिपटा
जवाब देंहटाएंझूट,
सत्य के रस से
भी बहुत ज्यादा मीठा
हो गया है
बढ़िया प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||
abhi thodi der pehle ashok chakradhar ki ek kavita ka video dekh raha tha... aapki kavita bilkul usi pravah me padh gaya.. bahut achi lagi.. :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने