हर शब्द का हमारा आपका अनुभव अलग है . शब्द के अर्थ हमारे अनुभव के अनुसार हमें सुख-दुःख संताप पीड़ा आह्लाद आनंद शांति द्वेष घृणा प्रेम जैसे उदगार देते हैं - शब्द और अर्थ .मेरे अनुभव और अर्थ का विहंगम . मेरे शब्दों का सफर .
27 सितंबर 2010
जीवन की आपाधापी
जीवन की आपाधापी में ,
कुछ साथ रहा कुछ छूट गया |
बचपन था कितना भोला था ,
कुछ खेल था , खिलौना था ,
कुछ अब बस स्मृतियाँ हैं ,
कुछ बस यादों का कोना था |
कुछ सपना सा , कुछ अपना सा ,
कुछ साबुत है , कुछ टूट गया ||
जीवन की आपाधापी में
कुछ साथ रहा कुछ छूट गया ||
यौवन था एक उन्मुक्त ज्वार ,
टूटे बंधन , खुली बयार ,
कुछ पागलपन , कुछ उन्माद ,
कुछ खुला –खुला , एकल संवाद |
कुछ बंधा सम्बन्ध जन्मो का
कोई है , जो रूठ गया ||
जीवन की आपाधापी में
कुछ साथ रहा , कुछ छूट गया ||
अब गागर उलटें , अब सागर मथ लें ,
जो रीता था , वो क्या कभी भरा ?
अविनाशी , ये समय सभी का साक्षी है ,
वो रहा खुशी , या मरा मरा !!
जीवन अमृत या विष का प्याला ,
फिर दो चार बूंद , या दो घूँट गया ||
जीवन की आपाधापी में
कुछ साथ रहा कुछ छूट गया ||
आगे एक शिथिल शरीर दो बोझल आँखें
एक व्याकुल मन , कुछ उखड़ी साँसे ,
पर मन कब बूढा होता है
वह मिलता है , वह खिलता है |
वह अब भी तुम्हे देख
उतना ही प्रफुल्लित होता है ||
आह्लाद छुपा था बरसों से ,
तुमको देखा तो फूट गया ||
जीवन की आपाधापी में
कुछ पास रहा कुछ छूट गया ||
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