हम सब मुद्राएँ हैं
चांदी के सिक्के हैं
सोने की अशर्फियाँ हैं
डालर हैं , रूपइया हैं
मार्क हैं , फ्रांक हैं
बुद्ध अब जेन है
जापानी येन है
यात्री ह्वेन्सांग , फाहियान
शाखा महायान , हीनयान
दर्शन अब युआन
विषय भूगोल नहीं
जी पी एस प्रद्दत है
दुनिया कितनी मस्त है
पृथ्वी अब गोल नहीं
गूगल है
आइंस्टाइन , न्यूटन से बड़ा ब्रांड
ऐपल है
गंगा से वोल्गा तक
पेप्सी, कोक है
मैक है , पिज्जा है
मुर्गी अब के एफ सी का ब्रांड एम्बैसडर है
मुल्कों से बड़ा मुल्क फेसबुक ट्विटर है .
वालस्ट्रीट नया मक्का है
गीक ऋषियों की सिलिकोन वैली है
एमोटीकोन भाषा की रोती-हँसती शैली है
ध्यान अब डाओ-जोन्स है
पूजा नैशडैक है
ज़िंदगी रिपोर्टर है
एक सौ चालीस चिन्हों में अक्षरा ट्विटर है
बाईबल , कुरान, गीता सब विकीपीडिया है
दौड़ती भागती ज़िन्दगी की सीढ़ियाँ है
यंत्रवत ज़िंदगी है
मानव एक पुर्ज़ा है
युद्ध का कारण ज़र ज़ोरू ज़मीन नहीं
तेल है , क्रूड है , ऊर्जा है .
पौरुष वाईग्रा है
काम कंडोम है
बहके हुए कदमों को थाम ले वो पिल है
दुनिया सारी एड्स के दायरे में शामिल है
सभ्यताओं का संघर्ष
९/११ , कर्बला , कुरुक्षेत्र
छोटे -छोटे युद्धों की एक सी श्रृंखला
खर्च , खर्चा , क्रेडिट-कार्ड, खर्चा
ज़िंदगी किश्तों में सब कुछ खरीद लाई
भविष्य अब विश्वव्यापी अवसाद की ईएमआई
चमड़े के सिक्के जब जब चले
ज़िंदगी दिल्ली से दौलताबाद तक जले
हमसब अब बाइनरी गणित हैं
विश्व के बाजार में या तो हैं खरीदार 'एक '
या फिर 'शून्य' हैं
इससे ज्यादा नहीं हमारा कोई अस्तित्व
इतना ही बचा खुचा
संवेदनाओं का सतीत्व
और हमारी भूख की भट्ठी में
इतना सब जला है
हवा में सांस लेना तक दूभर है
हम विषधरों नें इतना फुँफकारा है
अपनी ही सांसों में अब विषभरा है
फन उठाये तैय्यार नागराज कोबरा है
सिर्फ चित्रों और गानों में
हरी हरी वसुंधरा है
विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि से
कौन डरा -डरा है
पिघला दिए हिमनद
हम नए भगीरथ
किया नए ईश्वरों का वरण
आज फिर कुरुक्षेत्र में खड़ा है रथ
हे पार्थ ! हे अर्जुन !!
हे पताका पर आरूढ़ !!
सब के सब !!
किम्कर्तव्यविमूढ़
मुझे याद आ रहा है -
पुनश्च :
गांडीव हाथ से फिसलता जा रहा है
- कोई है ?
कौन आ रहा है ?
चांदी के सिक्के हैं
सोने की अशर्फियाँ हैं
डालर हैं , रूपइया हैं
मार्क हैं , फ्रांक हैं
बुद्ध अब जेन है
जापानी येन है
यात्री ह्वेन्सांग , फाहियान
शाखा महायान , हीनयान
दर्शन अब युआन
विषय भूगोल नहीं
जी पी एस प्रद्दत है
दुनिया कितनी मस्त है
पृथ्वी अब गोल नहीं
गूगल है
आइंस्टाइन , न्यूटन से बड़ा ब्रांड
ऐपल है
गंगा से वोल्गा तक
पेप्सी, कोक है
मैक है , पिज्जा है
मुर्गी अब के एफ सी का ब्रांड एम्बैसडर है
मुल्कों से बड़ा मुल्क फेसबुक ट्विटर है .
वालस्ट्रीट नया मक्का है
गीक ऋषियों की सिलिकोन वैली है
एमोटीकोन भाषा की रोती-हँसती शैली है
ध्यान अब डाओ-जोन्स है
पूजा नैशडैक है
ज़िंदगी रिपोर्टर है
एक सौ चालीस चिन्हों में अक्षरा ट्विटर है
बाईबल , कुरान, गीता सब विकीपीडिया है
दौड़ती भागती ज़िन्दगी की सीढ़ियाँ है
यंत्रवत ज़िंदगी है
मानव एक पुर्ज़ा है
युद्ध का कारण ज़र ज़ोरू ज़मीन नहीं
तेल है , क्रूड है , ऊर्जा है .
पौरुष वाईग्रा है
काम कंडोम है
बहके हुए कदमों को थाम ले वो पिल है
दुनिया सारी एड्स के दायरे में शामिल है
सभ्यताओं का संघर्ष
९/११ , कर्बला , कुरुक्षेत्र
छोटे -छोटे युद्धों की एक सी श्रृंखला
खर्च , खर्चा , क्रेडिट-कार्ड, खर्चा
ज़िंदगी किश्तों में सब कुछ खरीद लाई
भविष्य अब विश्वव्यापी अवसाद की ईएमआई
चमड़े के सिक्के जब जब चले
ज़िंदगी दिल्ली से दौलताबाद तक जले
हमसब अब बाइनरी गणित हैं
विश्व के बाजार में या तो हैं खरीदार 'एक '
या फिर 'शून्य' हैं
इससे ज्यादा नहीं हमारा कोई अस्तित्व
इतना ही बचा खुचा
संवेदनाओं का सतीत्व
और हमारी भूख की भट्ठी में
इतना सब जला है
हवा में सांस लेना तक दूभर है
हम विषधरों नें इतना फुँफकारा है
अपनी ही सांसों में अब विषभरा है
फन उठाये तैय्यार नागराज कोबरा है
सिर्फ चित्रों और गानों में
हरी हरी वसुंधरा है
विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि से
कौन डरा -डरा है
पिघला दिए हिमनद
हम नए भगीरथ
किया नए ईश्वरों का वरण
आज फिर कुरुक्षेत्र में खड़ा है रथ
हे पार्थ ! हे अर्जुन !!
हे पताका पर आरूढ़ !!
सब के सब !!
किम्कर्तव्यविमूढ़
मुझे याद आ रहा है -
पुनश्च :
गांडीव हाथ से फिसलता जा रहा है
- कोई है ?
कौन आ रहा है ?
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आपके समय के लिए धन्यवाद !!