1 फ़रवरी 2012

उल्लू

घुग्घू  या मुआ 
किसी भी नाम से पुकारें 
उल्लू का पट्ठा
उल्लू का पट्ठा रहा !!


घोंघा बसंत होने का दर्द 
जिसने सहा हो 
वह जहाँ भी रहा हो 
पानी के करीब 
किसी पुराने खंडहर 
या किसी पेड़ का सगा  
सारी उम्र घुग्घियाता - 
घुग्घूऊ ऊऊ रहा करता ,   
उल्लू का पट्ठा 
उल्लू का पट्ठा रहा !!


गले में पड़ा है 
लक्ष्मी का पट्टा 
भाग्य घिसा-पिटा
परसाई जी का दर्द 
परसाई जी ने कहा 
सबने अपना-अपना 
उल्लू सीधा किया 
चलता बना 
उल्लू का पट्ठा 
उल्लू का पट्ठा रहा  !!


प्रेम का फर्द 
ज़माने का सिरदर्द 
पिछली पीढ़ी का क़र्ज़
अगली पीढ़ी का फ़र्ज़ 
अजीर्ण का रोग 
अनिद्रा भोग 
विरह-वियोग 
प्रथम-मिलन-सम्भोग 
भैरवी साधना 
बकवादी की बकवास 
दार्शनिक का फलसफा 
देवों का सोमपान 
देवी का निंदा-सद्यस्नान  
सब का रतजगा 
सारी सारी रात चला 
उल्लू का पट्ठा 
उल्लू का पट्ठा रहा  !!



बिसमिल्ला की शहनाई 
पर जैसे आधी रात
राग बिहाग सजा, 
बजा, जब चढ़ी तान
कामदेव का बाण
इस पर चला 
उस पर चला 
पुकारती रही 
नयनों की आतुरता 
बैठा रहा घुग्घू 
निर्मिमेष ताकता 
उल्लू का पट्ठा 
उल्लू का पट्ठा रहा  !!

1 टिप्पणी:

आपके समय के लिए धन्यवाद !!

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