व्यापार , फिर व्यापार है
लक्ष्मी है चंचला
कब कहाँ ठहरी है
ये क्या ज्ञान की गठरी है
कुबेर का खज़ाना
कौन सदा महेंद्र है
बदलता केन्द्र है
वक्त का पहिया दौड़ता , चलता
बदलती है धुरी
हारे हुए हाथी, हाथीदांत सामग्री बने
सूत के वस्त्र , ऊनी कालीन
इत्र , विचित्र
काली मिर्च
लौंग , इलायची
मसाले , मसाले
आदि इत्यादि
नावें बनी
तोपची रहे तोपची
बंदूकें बन गईं जब
तब
प्यादे बादशाहों पर पड़े भारी
समुद्र के रास्ते
बढ़ गई
राजशाही इज़ारेदारी
झुक पहाड़ गए
अगस्त्य विन्ध्य लांघ गए
स्वतंत्र सब देश बने
साम्राज्य उपनिवेश बने
नवजागरण काल
प्रतिष्ठित हुआ
बढ़ गई पशुता
दास व्यापार हुआ
लज्जित मनुष्यता
आदमी पर आदमी की प्रभुता
उस साम्राज्य में सूर्य नहीं डूबता
फैला इतने योजन
चवन्नी में नहीं बिकता
उस
इतिहास का पर्चा
सबसे सस्ता मनोरंजन
इतिहास चर्चा .
लक्ष्मी है चंचला
कब कहाँ ठहरी है
ये क्या ज्ञान की गठरी है
कुबेर का खज़ाना
कौन सदा महेंद्र है
बदलता केन्द्र है
वक्त का पहिया दौड़ता , चलता
बदलती है धुरी
हारे हुए हाथी, हाथीदांत सामग्री बने
सूत के वस्त्र , ऊनी कालीन
इत्र , विचित्र
काली मिर्च
लौंग , इलायची
मसाले , मसाले
आदि इत्यादि
नावें बनी
तोपची रहे तोपची
बंदूकें बन गईं जब
तब
प्यादे बादशाहों पर पड़े भारी
समुद्र के रास्ते
बढ़ गई
राजशाही इज़ारेदारी
झुक पहाड़ गए
अगस्त्य विन्ध्य लांघ गए
स्वतंत्र सब देश बने
साम्राज्य उपनिवेश बने
नवजागरण काल
प्रतिष्ठित हुआ
बढ़ गई पशुता
दास व्यापार हुआ
लज्जित मनुष्यता
आदमी पर आदमी की प्रभुता
उस साम्राज्य में सूर्य नहीं डूबता
फैला इतने योजन
चवन्नी में नहीं बिकता
उस
इतिहास का पर्चा
सबसे सस्ता मनोरंजन
इतिहास चर्चा .
यह भी अच्छा इतिहास रहा,
जवाब देंहटाएंव्यापार बड़ा ही खास रहा !!
बहूत हि सुंदर रचना है...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ती
इतिहास की परतें खोलता ... अच्छा इतिहास है ...
जवाब देंहटाएंबढ़ गई पशुता
जवाब देंहटाएंदास व्यापार हुआ
लज्जित मनुष्यता
आदमी पर आदमी की प्रभुता
इतिहास का बहुत सही व् सूझ से भरा चित्रण किया है आप ने ..