इतिहास फिर क्या है
एक निरंतर यात्रा
कुछ पड़ाव
फिर आये
बाली,जावा,सुमात्रा
दूर-सुदूर से भरा
स्वर्ण अर्जित कोषागार
धन-धान्य व्यापार
तक्षशिला, नालंदा
और करने संचय
ज्ञान-कोष अक्षय
ज्ञानपिपासु व्हेनसांग , फाह्यान
मेगास्थनीज, अलबरूनी
यूनान-मिस्त्र-रोमा
चीनो-अरब-सारा
इतिहास की गोचर पृष्ठभूमि
ले फिरे किम्वदंतियां
सम्पन्नता-विवृत्तियाँ
व्यापारी , यात्री , छात्र
यात्रा-वृतांत
आये , हुआ समागम
बुद्ध , गौतम , शरणागत
धम्मं शरणं गच्छामि
संघम शरणं गच्छामि
बुद्धम शरणं गच्छामि
हुआ प्रसार , प्रचार
महावीर आगमन
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आइरियाणं
जय जिनेन्द्र
जय महावीर
थी यह शून्य की आय ?
या थी यही भूमि धाय ?
सब प्रश्न पूछते हैं प्राय: !
सत्ता और शक्ति
बदलने लगे समीकरण
फिर छिड़ा संग्राम
युद्ध था संहारक
भग्नावशेष स्मारक
लूट ली सम्पत्तियाँ
मिटा दीं सब रीतियाँ
शोकाकुल सब समाज
कुलीन और साधारण जमात
नैराश्य का उद्दीपन
आस्था का उद्वेलन
विश्वास डगमग डगमग
इतिहास का प्रतिफलन
कौंधा अँधेरे में चमक
अंधकार को प्रकाश सूझा
ज्ञान की प्रकाश्य पूजा
मार्ग था भक्ति
भक्ति और भक्ति
आसक्ति , विश्वास, श्रद्धा , शक्ति
जन-संबल लौटा
उधर बिछा
चौसर का हाथ
चलो चलें नए दाँव
फिर चलो हस्तिनापुर
रचें नई महाभारत
इतिहास ले रहा करवट
हाथी , ऊंट , वजीर, बादशाह
फिर बिछी बिसात
शतरंज के प्यादे
ढाई घर उलांघे
घोड़े आये , दौड़े आये
सरपट भागे
पोरस के साथी
डुबो गये हाथी
सिकंदर को मिला आम्भी
आया , एक अजनबी
फारस का गज़नवी
फिर जिसके
हाथ से
छुटा समरकंद
और छुटा वादी-ए-फरगना
वहाँ से चला मंगोल
फारस में ढला मुग़ल
बना मुग़ल सरगना
लाया साथ
गोला , बारूद , आग्नेयास्त्र, तोपखाना
पड़ गया पुराना
धनुष की प्रत्यंचा, गदा, बर्छी, भाला, तलवार
शक्ति का ह्रास
बदलने लगा इतिहास
बदला भूगोल
हिंदुकुश निर्वासना
दोआब में बस गया
यहीं रच गया
कहते रहे ज्ञानी
बूझल बानी
कोऊ नृप होए हमैं का हानी.
एक निरंतर यात्रा
कुछ पड़ाव
फिर आये
बाली,जावा,सुमात्रा
दूर-सुदूर से भरा
स्वर्ण अर्जित कोषागार
धन-धान्य व्यापार
तक्षशिला, नालंदा
और करने संचय
ज्ञान-कोष अक्षय
ज्ञानपिपासु व्हेनसांग , फाह्यान
मेगास्थनीज, अलबरूनी
यूनान-मिस्त्र-रोमा
चीनो-अरब-सारा
इतिहास की गोचर पृष्ठभूमि
ले फिरे किम्वदंतियां
सम्पन्नता-विवृत्तियाँ
व्यापारी , यात्री , छात्र
यात्रा-वृतांत
आये , हुआ समागम
बुद्ध , गौतम , शरणागत
धम्मं शरणं गच्छामि
संघम शरणं गच्छामि
बुद्धम शरणं गच्छामि
हुआ प्रसार , प्रचार
महावीर आगमन
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आइरियाणं
जय जिनेन्द्र
जय महावीर
थी यह शून्य की आय ?
या थी यही भूमि धाय ?
सब प्रश्न पूछते हैं प्राय: !
सत्ता और शक्ति
बदलने लगे समीकरण
फिर छिड़ा संग्राम
युद्ध था संहारक
भग्नावशेष स्मारक
लूट ली सम्पत्तियाँ
मिटा दीं सब रीतियाँ
शोकाकुल सब समाज
कुलीन और साधारण जमात
नैराश्य का उद्दीपन
आस्था का उद्वेलन
विश्वास डगमग डगमग
इतिहास का प्रतिफलन
कौंधा अँधेरे में चमक
अंधकार को प्रकाश सूझा
ज्ञान की प्रकाश्य पूजा
मार्ग था भक्ति
भक्ति और भक्ति
आसक्ति , विश्वास, श्रद्धा , शक्ति
जन-संबल लौटा
उधर बिछा
चौसर का हाथ
चलो चलें नए दाँव
फिर चलो हस्तिनापुर
रचें नई महाभारत
इतिहास ले रहा करवट
हाथी , ऊंट , वजीर, बादशाह
फिर बिछी बिसात
शतरंज के प्यादे
ढाई घर उलांघे
घोड़े आये , दौड़े आये
सरपट भागे
पोरस के साथी
डुबो गये हाथी
सिकंदर को मिला आम्भी
आया , एक अजनबी
फारस का गज़नवी
फिर जिसके
हाथ से
छुटा समरकंद
और छुटा वादी-ए-फरगना
वहाँ से चला मंगोल
फारस में ढला मुग़ल
बना मुग़ल सरगना
लाया साथ
गोला , बारूद , आग्नेयास्त्र, तोपखाना
पड़ गया पुराना
धनुष की प्रत्यंचा, गदा, बर्छी, भाला, तलवार
शक्ति का ह्रास
बदलने लगा इतिहास
बदला भूगोल
हिंदुकुश निर्वासना
दोआब में बस गया
यहीं रच गया
कहते रहे ज्ञानी
बूझल बानी
कोऊ नृप होए हमैं का हानी.
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