13 अक्टूबर 2010

आँखें

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पलते हैं उनमे जो सपने 
कभी -कभी सच हो जाते हैं .
और हम पाते  हैं -
जीवन सिर्फ मृगमरीचिका नहीं 
सिर्फ छलावा नहीं .
एक ठंडी हवा भी है .
यह एक दवा भी है .
जीवन एक त्यौहार भी है 
यह एक व्यवहार भी है .
कभी अपने और पराये के बीच 
कभी समर्थ और सताये  के बीच .
जीवन है संभावनाओ और सपनों के बीच की यात्रा !
यह हम सब की कहानी है .
और सब बातें पुरानी है .

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