गोवर्धननाथ जी के मंदिर में
जलघडीया था
गोविंदा
मथुरा का पंडा .
ठाकुरजी के लिए
भरता था कुँए से पानी
रसोई को
पूजा को
स्नान को .
आरती के वक्त
बजाता था घंटा .
गाता था ब्रज के भजन
दोनों हाथों से मजीरे बजा बजा कर
जब होती प्रदक्षिणा .
पहन कर साड़ी
धरता राधा का स्वांग
रास में
लहरा कर नाचता-गाता
मिलती बहुत दक्षिणा .
गोवर्धन पूजा पर
पकड़ गाय और बछड़े की रस्सी
जोर से
भोर से .
देता लौटते लोगों के हाथ
चरणामृत
तुलसीदल
भोग की पत्तल
इधर उधर बांटता
जोड़ - तोड़ करता
घी के लड्डू
तीन के सात
अच्छा था हिसाब.
हवेलियों में दे आता
सेठों को प्रणाम कर
हो गया भीतरिया
अंदर पहुंचा
भीतर
जहाँ ठाकुर विराजते .
धीरे धीरे आते जाते
अगला पड़ाव
मंदिर का मुखिया .
अब है मठाधीश .
कलफ की धोती
कुर्ता सिल्किया .
गले में सोने की तुलसी की माला
अब नहीं रहा वो ग्वाल -ग्वाला .
रुआब पड़ना चाहिए
घूरो , इतना घूरो
सामने वाले की आँखें झुकना चाहिए .
धीर गंभीर मुद्रा
लंबा तिलक
अच्छी जड़ी खडाऊ
ताम झाम भडकाऊ
आसनवाली गद्दी है
मन अब थोड़ा जिद्दी है .
सेवा सत्कारी हों
पास कुछ दरबारी हों
अब और नहीं उन्नीस
नहीं कोई ऊँच-नीच
हूँ पूरा बीस .
मन्दिर हवेली का मैं मठाधीश .
राधा का स्वांग भरना काम आया
इसको उसको रिझाया .
गोवर्धननाथ जी
हाथ में ले बांसुरी
अब भी खड़े हैं
सांवले सावरियां की मोहिनी मुस्कान है
वामन का कद बढ़ा हुआ मठाधीश
जय द्वारकाधीश !
नहीं , नहीं कोई भय
गोवर्धननाथ की जय!!
Beautiful and excellent ...will share it with my mom...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबधाई
चूंकि मैं मथुरा से हूँ सिर्फ इसलिए यह कविता नहीं कचोटती बल्कि इस लिए भी कि भाई हवेलियों में रहने वाले मथुरा के पंडे होते हैं या फिर ........................... ? जरा ठीक ढंग से जांच पड़ताल तो करें भाई जी ?????????????????????? वैसे कविता सांकेतिक रूप में बहुत अच्छी है.............
जवाब देंहटाएं@Navin C. Chaturvedi जी , पहले तो क्षमायाचना. आप का दिल दुखाया . पर यह कविता आपने ठीक पहचाना सांकेतिक है . ना इतिहास है , ना पत्रकार की रिपोर्ट . तथ्यात्मक वर्णन नही है . वह एक पृष्ठभूमि के रूप में है मात्र . जो नही जानते इन हवेलियों के बारे में उनमे कौतूहल होगा . जैसे किसी फिल्म की शूटिंग के लिए रामगढ प्रसिद्ध हो गया .
जवाब देंहटाएंनवीन जी वैसे गोविंदा से मुलाकात हुई है मेरी . वह पात्र काल्पनिक नही है . और मथुरा से ही था . कहाँ , जाने दीजिए .
जवाब देंहटाएंआजकल समाज के हर क्षेत्र में मठाधीशों का ज़बरिया कब्ज़ा है.पहले की हुई सेवा अब मेवा बन गयी ,जीवन सुफल हुआ !
जवाब देंहटाएंकमाल की प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन, अनुपम शानदार.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
:))))))))))))))))))
जवाब देंहटाएंओके सर जी, जाने देते हैं
@Navin C. Chaturvedi आपने मुआफ किया . तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ .
जवाब देंहटाएंआदरणीय अतुल जी आप मुझसे काफी बड़े हैं, यदि आप ऐसा कहेंगे तो मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होगी| आपने अपने मन की बात कही, मैंने अपना पक्ष रखा| बात खत्म कर दी दोनों ने हँस-मुस्कुरा कर|
जवाब देंहटाएंआप के ब्लॉग पर काफी पठनीय सामाग्री है| इस महतकर्म को जारी रखिएगा श्रीमान :)|