लो फिर आ गया मौसम
त्यौहारों का
व्यवहारों का
लौटा फिर वृक्षों पर
नये पात और नये फल लिये
खेतों में एक नयी फसल लिये
मौसम हल्की हल्की सर्दी
गुनगुनी गुलाबी धूप का
उपवन उपवन मौसम आया
कौन चितेरा आँक रहा
बादलों की तूलिका से
यौवन के सपनों , मस्ती , अंगड़ाई ,
अलसाई , काम-रूप का !!
उत्सव है , तो जीवन है ,
आशा है , श्रृंगार है ,
कामना है ,
शरीर है , व्यसना है ,
उत्सव का अभिमान
नवयौवना है .
त्यौहारों का
व्यवहारों का
लौटा फिर वृक्षों पर
नये पात और नये फल लिये
खेतों में एक नयी फसल लिये
मौसम हल्की हल्की सर्दी
गुनगुनी गुलाबी धूप का
उपवन उपवन मौसम आया
कौन चितेरा आँक रहा
बादलों की तूलिका से
यौवन के सपनों , मस्ती , अंगड़ाई ,
अलसाई , काम-रूप का !!
उत्सव है , तो जीवन है ,
आशा है , श्रृंगार है ,
कामना है ,
शरीर है , व्यसना है ,
उत्सव का अभिमान
नवयौवना है .
बहुत सुन्दर-सामयिक रचना....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्सव है , तो जीवन है ,
जवाब देंहटाएंआशा है , श्रृंगार है ,
कामना है ,
शरीर है , व्यसना है ,
उत्सव का अभिमान
नवयौवना है
सुंदर कविता बहुत अच्छी लगी ।
Bohot hi khoobsoorat panktiya... :)
जवाब देंहटाएंNoopur
http://apparitionofmine.blogspot.in/
Ati uttam Atul ji :)
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