शब्दों में बेबसी , बेचारगी , गुस्सा हो
पहले नहीं देखा कभी वो इतना डरा हो ||
लीडरान की चाक -चौबंद हिफाजत हो
देखो न आसपास भी, वो सिरफिरा हो ||
मुंडेर पर नहीं दिखा वो सादा-कबूतर
हो न हो किसी बाज के पंजों ने धरा हो ||
आँखें जागने से लाल हैं या खून उतरा है
रात बड़ी कश्मकश से शहर गुजरा हो ||
आँखें खोलो तो बाज़ार की लाशों का मंज़र
बंद करूँ तो सामने उसी बच्चे का चेहरा हो ||
चार सू आवाजें दीं सब लौट के आती हैं
ये शहर जैसे हर सू पहाड़ों से घिरा हो ||
जो धमाका हमारे कान सुन्न कर गया
कई घरों में अबतक सन्नाटा पसरा हो ||
चार सू आवाजें दीं सब लौट के आती हैं
जवाब देंहटाएंये शहर जैसे हर सू पहाड़ों से घिरा हो ||
जो धमाका हमारे कान सुन्न कर गया
कई घरों में अबतक सन्नाटा पसरा हो ||
...palbhar mein barbaad hote gharon mein sannata pasarne wale durdaant log jaane kab insaan banegen...
..bahut marmsparshi rachna...
marmik ..gahan abhivyakti ..
जवाब देंहटाएंमुंडेर पर नहीं दिखा वो सादा-कबूतर
जवाब देंहटाएंहो न हो किसी बाज के पंजों ने धरा हो |
शांति दूत कबूतर तो अब अन्याय रूपी बाज के पंजों में फंस के ही रह गया है
bahut achchhi rachna ...shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंbahut acchi rachna........aabhar
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