दो जिस्मो के बीच टूटा रिश्ता पड़ा था
करवट का फासिला कितना बड़ा था .
बहुत बेजुबाँ थी दिलों की तल्खियां
अल्फाज था फिर गले में अकड़ा था .
अक्सर करीने से सजे फूलों का ही
यहाँ बागीचे के बागबां से झगड़ा था .
इसी बहाने पुराने खतों का जिक्र आया
ये याद आया कितने शौक से पढ़ा था .
यादों के बादल तब ही आँखों में उतरे
दिल में जब बहुत उमड़ा -घुमड़ा था .
आओ उसे फिर उन्ही गलियों में ढूंढे
बचपन के खिलौनों का टूटा टुकड़ा था .
कच्ची नींद का ख्वाब सिरहाने बैठा रहा
जिसे अधूरा समझा वही पूरा गढ़ा था .
Beautiful poem and words are so soulful.
जवाब देंहटाएंअक्सर क़रीने से सजे फूलों .............
जवाब देंहटाएंवाक़ई अज़ीब बात है ये
घनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
beautifully describe every situation touching also
जवाब देंहटाएंthangs for follow my blog and permoting my post hope ur visit in future also
यादों के बादल तब ही आँखों में उतरे
जवाब देंहटाएंदिल में जब बहुत उमड़ा -घुमड़ा था .
आओ उसे फिर उन्ही गलियों में ढूंढे
बचपन के खिलौनों का टूटा टुकड़ा था .
बहुत खूब कहा है आपने इन पंक्तियों में ...आभार ।