25 मार्च 2010

मैं अभी तक वैसा ही हूँ

तुम बदले बदले लगते हो ,
मैं अभी तक वैसा ही हूँ |
पूजा की थाली में रखे थे ,
कुछ यादों के फूल पुराने ,
और तुम्हारे ख़त रखे हैं ,
मन की आँखों के सिरहाने |
मेरा - तेरा इतिहास नहीं है ,
मैं झूठा किस्सा ही हूँ |
आँखों पर मौन के ताले ,
आंसू की जंजीर ने बाँधा ,
वक्त को भी रोना था ,
लेकर मेरा ही कांधा |
ईश्वर का आकार नहीं है ,
एक वैसा रिश्ता ही हूँ |
ख़त - खिताबत लेना - देना ,
सब जीने का ताना - बाना,
उम्र की दहलीज पे मिलना ,
बाटूंगा सब नया पुराना |
सूखे पत्ते ज्यों गिरते हैं ,
मैं उतना कच्चा ही हूँ | |

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