कोई यूँ ही बेसबब सिरफिरा नहीं होता
न मुहब्बत होती औ’ ये किस्सा नहीं होता.
सिर्फ मिजाजपुर्सी नहीं कुछ तीमारदारी भी हो
दिलों का घाव छुपाने से कभी अच्छा नहीं होता .
इकरार नहीं किया कभी , कभी इजहार नहीं किया
कभी मिसरा नहीं मिलता , कभी मतला नहीं होता.
सबकी अपनी रवायतें सबकी अपनी मसरुफियतें
सफर आगाज़ हो जाये फिर कारवां नहीं होता .
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
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