16 अगस्त 2010

कारवां नहीं होता

कोई यूँ ही बेसबब सिरफिरा नहीं होता
न मुहब्बत होती औ’ ये किस्सा नहीं होता.


सिर्फ मिजाजपुर्सी नहीं कुछ तीमारदारी भी हो
दिलों का घाव छुपाने से कभी अच्छा नहीं होता .


इकरार नहीं किया कभी , कभी इजहार नहीं किया
कभी मिसरा नहीं मिलता , कभी मतला नहीं होता.


सबकी अपनी रवायतें सबकी अपनी मसरुफियतें
सफर आगाज़ हो जाये फिर कारवां नहीं होता .

1 टिप्पणी:

आपके समय के लिए धन्यवाद !!

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