12 जुलाई 2011

फेसबुक पर कविता

कुछ बच्चे गोद में हैं
कुछ घुटनों के बल चल पड़ें हैं
कुछ बाग में खेल रहे हैं
कुछ विद्यालय आ जा रहे हैं
कुछ ऊँची क्लास में हैं
कुछ कालेज कुछ विश्वविद्यालय में हैं
कुछ कंपनी कुछ घर में हैं
कुछ प्रेमी के साथ घूम फिर रहे हैं
कुछ शादी के द्वार पर हैं
कुछ की बातचीत जारी है
कुछ की तैय्यारी है
फिर शादी के दो-चार साल बाद यही कहानी दोहराई जायेगी
प्रथम जन्मे शिशु का उल्लास
पहली छवि , प्रथम  हाथों में लेने  का अहसास
उसकी प्रथम किलकारी
पहला कदम
स्कूल में पहला दिन
पहली यात्रा
जब उसने पहली दौड में हिस्सा लिया
यह पहली ट्राफी , पहला खिलौना , पहली गाड़ी
बहुत चाव से दिखाए जायेंगे
हमारी सगाई , शादी , हनीमून, यात्रा की तस्वीरें
पहली नौकरी
पहली बेरोजगारी
पहली गाड़ी
पहला मकान
पहली विदेश यात्रा
दोस्त के साथ बरसों बाद मुलाकात
खोये हुए दोस्त से मिलने का उत्साह
स्कूल कालेज से बिछड़े दोस्तों के बदले हुए चेहरे
कुछ इसी शहर में , कुछ बहुत दूर , कुछ देश , कुछ विदेश में
हर गतिविधी पर नजर , हर टिप्पणी पर प्रतिक्रिया
कुछ पसंद कुछ मजाहिया
कुछ ब्लाक , कुछ खुला
दो तरह के लोगों के लिए दो चेहरे - दो जीवन
जन्मदिन वर्षगाँठ की बधाई
वही सिलसिला , वही शिकवे वही गिला
कभी इधर आओ , कभी मिलो .
लड़का न्यूयॉर्क , लड़की पेरिस में हैं
बड़ा घर सांय-सांय  करता है
परिवार फेसबुक पर मिलता है
वही दुआ सलाम , वही सुप्रभात , वही शुभरात्री , शब्बाखैर
बूढ़े बरगद के नीचे अब कोई इकठ्ठा नहीं होता
पास की बावड़ी का पानी मैला है
बरगद के पास हरसिंगार अकेला है
रातरानी नहीं खिली
कोयल की तान सुनी-अनसुनी
गावँ शहर के लोग इधर नहीं आते
किसी ने कहा - वहाँ ब्रह्मराक्षस रहता है .

3 टिप्‍पणियां:

  1. सटाक की आवाज के साथ जोरदार चाबुक चला दी आप की इस कविता ने हमारे विचारों की पृस्ठभूमि पर| जीवन का सत्य है तो इसे इग्नोर करना तो वैसे भी मुश्किल है| हाँ हम कभी कभार कुछ न कुछ प्रयत्न कर के, ज़मीन से जुड़े रहने के प्रयास अवश्य जारी रख सकते हैं|

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  2. sateek bat kahi aapne .parivaron me dooriyan bad rahi hain .aabhar

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  3. आपने पूरा जीवन चक्र ही कविता में लिख दिया . सही है जीवन भी गोल घूमता है.

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आपके समय के लिए धन्यवाद !!

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