हिंदी वालों के लिए जगह सिमटती जा रही है . यह नही की हिंदी बोलने वालों की संख्या में कमी आयी है या हिंदी का क्षेत्र कम हुआ है. यह जरूर है की पिछले कुछ दशक में जहाँ भूगोलीकरण में बाज़ार बढ़ा है वहीं हिंदी का बाज़ार कम हुआ है .
पहले हिंदी की पत्रिकाएं यात्रा पर निकलिये मिल जाया करती थीं , अब पत्रिकायें कम उपलब्ध है . बड़े प्रकाशनों ने तो मुंह मोड ही लिया है . सारिका , धर्मयुग , कादम्बिनी , रविवार सरीखी पत्रिकायें अब स्मृति की वस्तु है . कई लोग अब भी अपने स्तर पर पत्रिकायें निकाल रहे हैं . पहले प्रभाष जोशी जैसे पत्रकारों के लिए अखबार खरीद कर पढ़े जाते थे . अब नहीं . ऐसा नही की हिन्दी का लेखक कम लिख रहा है . कविसम्मेलन भी कम देखे जाते हैं . नये साधन आ गए . और विगत दिनों हिंदी में चिट्ठा लिखने की सक्रियता बढ़ी है . कई अच्छे चिट्ठे आये हैं . और नये नये प्रयोग से हिन्दी का प्रसार हो रहा है .
पहले हिंदी की पत्रिकाएं यात्रा पर निकलिये मिल जाया करती थीं , अब पत्रिकायें कम उपलब्ध है . बड़े प्रकाशनों ने तो मुंह मोड ही लिया है . सारिका , धर्मयुग , कादम्बिनी , रविवार सरीखी पत्रिकायें अब स्मृति की वस्तु है . कई लोग अब भी अपने स्तर पर पत्रिकायें निकाल रहे हैं . पहले प्रभाष जोशी जैसे पत्रकारों के लिए अखबार खरीद कर पढ़े जाते थे . अब नहीं . ऐसा नही की हिन्दी का लेखक कम लिख रहा है . कविसम्मेलन भी कम देखे जाते हैं . नये साधन आ गए . और विगत दिनों हिंदी में चिट्ठा लिखने की सक्रियता बढ़ी है . कई अच्छे चिट्ठे आये हैं . और नये नये प्रयोग से हिन्दी का प्रसार हो रहा है .
हिंदी के लिए चिट्ठा से आगे की ज़मीन तलाशने का प्रयोग भी हो रहा है . विगत कुछ दिनों से मैं भी रवीश जी द्वारा निष्पादित त्वरितर (त्वरित + र ) पर सक्रिय हूँ . और सोचा अपने अनुभव आपसे बाँटू.
यहाँ , की शब्दावली पर ध्यान देंना ज़रूरी है .
आपके घटनापटल पर त्वरित वही आता है - जो आपके फॉलोअर त्वरित लिख रहे होते है. अगर आप रवीश जी को सीधे कुछ लिखना चाहें , वह आपके फॉलोअर न भी हों तो आप @ravishndtv लिखकर जो भी इसके बाद लिखें वह उनतक पहुँच जाएगा .
और आप को उनकी लिखी बात अच्छी लगी और आप उसे अपने फॉलोअर तक पहुँचाना चाहें तो आप उसे पुनः त्वरितर करें .
इस तरह आप संवाद की एक श्रृंखला स्थापित कर रहे होते है .
एक समस्या है . शेर और दोहे तो त्वरितर की शब्दसीमा ( १४० उत्कीर्ण ) में आ जायेंगे . बड़ी कविता एक समस्या है . इसका तुरंत हल तो यह है की हम इसे छोटे छोटे पुलिंदों में त्वरितर करें . हर त्वरितर पर क्रम से संख्या दे दें . और त्वरितर पर '#' इस चिन्ह का उपयोग कर सारे एक सूत्र में बांधे जा सकते है . पर ध्यान देने की बात है , अगर '#' इसका इस्तेमाल करें तो अंग्रेज़ी के वर्णों का इस्तेमाल करें . वैसे ही जैसे हिंदी में लिखे पत्रों पर पता अंगरेजी वर्णों में लिखा जाता है , ताकि किसी अन्य भाषा के व्यक्ति को भी उसे पहुंचाने में असुविधा न हो .
अगर आप ऐसा कोई सन्देश देना चाहते हैं - जो आपके फॉलोअर विशेष को ही मिले तो आप उसे "डीएम" याने सीधे सन्देश के माध्यम से दें . पर ध्यान रहे उसे डीएम के बाहर डीएम दिया है सूचित कर दें . ज्यादातर त्वरितर वाले सीधे सन्देश नहीं खोलकर देखते .
आप एक ही "सुप्रभात " या "शुभरात्री " @ का इस्तेमाल कर कई लोगों को दे सकते हैं .त्वरितर पर इसे ज़िक्र या उल्लेख कहते हैं . सन्देश बिना किसी के ज़िक्र या उल्लेख के भी भेजे जाते हैं . और अगर उस पर तवज्जो देना है तो अन्य अवश्य देंगे .
यह तो हुई शुरुआत . इसके और उपयोग के लिए प्रयोग जारी रहना चाहिए .
यहाँ , की शब्दावली पर ध्यान देंना ज़रूरी है .
आपके घटनापटल पर त्वरित वही आता है - जो आपके फॉलोअर त्वरित लिख रहे होते है. अगर आप रवीश जी को सीधे कुछ लिखना चाहें , वह आपके फॉलोअर न भी हों तो आप @ravishndtv लिखकर जो भी इसके बाद लिखें वह उनतक पहुँच जाएगा .
और आप को उनकी लिखी बात अच्छी लगी और आप उसे अपने फॉलोअर तक पहुँचाना चाहें तो आप उसे पुनः त्वरितर करें .
इस तरह आप संवाद की एक श्रृंखला स्थापित कर रहे होते है .
एक समस्या है . शेर और दोहे तो त्वरितर की शब्दसीमा ( १४० उत्कीर्ण ) में आ जायेंगे . बड़ी कविता एक समस्या है . इसका तुरंत हल तो यह है की हम इसे छोटे छोटे पुलिंदों में त्वरितर करें . हर त्वरितर पर क्रम से संख्या दे दें . और त्वरितर पर '#' इस चिन्ह का उपयोग कर सारे एक सूत्र में बांधे जा सकते है . पर ध्यान देने की बात है , अगर '#' इसका इस्तेमाल करें तो अंग्रेज़ी के वर्णों का इस्तेमाल करें . वैसे ही जैसे हिंदी में लिखे पत्रों पर पता अंगरेजी वर्णों में लिखा जाता है , ताकि किसी अन्य भाषा के व्यक्ति को भी उसे पहुंचाने में असुविधा न हो .
अगर आप ऐसा कोई सन्देश देना चाहते हैं - जो आपके फॉलोअर विशेष को ही मिले तो आप उसे "डीएम" याने सीधे सन्देश के माध्यम से दें . पर ध्यान रहे उसे डीएम के बाहर डीएम दिया है सूचित कर दें . ज्यादातर त्वरितर वाले सीधे सन्देश नहीं खोलकर देखते .
आप एक ही "सुप्रभात " या "शुभरात्री " @ का इस्तेमाल कर कई लोगों को दे सकते हैं .त्वरितर पर इसे ज़िक्र या उल्लेख कहते हैं . सन्देश बिना किसी के ज़िक्र या उल्लेख के भी भेजे जाते हैं . और अगर उस पर तवज्जो देना है तो अन्य अवश्य देंगे .
यह तो हुई शुरुआत . इसके और उपयोग के लिए प्रयोग जारी रहना चाहिए .
अब यहाँ प्रारंभिक उपयोग से हटकर पर इससे जुडी कुछ और बातों पर आपका ध्यान चाहूँगा .
हर व्यक्ति का कोई ना कोई प्रिय लेखक या कवि होता है . अगर कुछ बंधू कोशिश करें तो उस कवि या लेखक के नाम से एक खाता या हत्था खोल लें . और उनकी चुनिन्दा पंक्तियाँ उसके द्वारा अन्य लोगों तक पहुंचाएं .
मैंने भी अपना हत्था पहले खोला था . पर सक्रिय नहीं था . ब्लॉग पर कुछ लिखो और फिर बैठकर इन्तेजार करो . किसी ने पढ़ा या नहीं . चूँकि ब्लॉग पर कोई सारा दिन बैठा नहीं रहता इसलिए इसपर विचार विनिमय संवादात्मक नहीं हो पाता. और दिल खिन्न रहता है . इसलिए भी त्वरितर अच्छा लगा . आप जिसकी चाहें प्रशंसा करें या बखिया उधेड़ें. और संवादात्मकता भी ऐसी की आपको लपेट ले .
और सिर्फ शब्दों का इस्तेमाल न हो इसलिए मुझे अपने अनुभव से लगा की #SHAIR जिसमे कई लोग किसी विषय पर या किसी शायर की शायरी एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार त्वरितर करते हैं . आप आ कर एक बार देख लें . #SHAIR पर खोजें तो आपको उस पर हुए सारे त्वरितर संवाद अपने आप मिल जायेंगे . आपके आने के पूर्व के भी . इससे जिसने उस कवि या लेखक को नहीं भी पढ़ा उसे भी उसे पढने का मौका मिलता है और वह उसे पढने का प्रयास करता है . हम कुछ लोग इसमें हिन्दी के गाने , कविता , दोहे भी डाल देते हैं और यह सब सहज चलता है . दुष्यंत , गुलज़ार , धूमिल , कुमार अम्बुज की कवितायें यहाँ कुछ सीमित मात्रा में ही सही आ गयी है . आपके पदार्पण की देर है .
बहुत से ब्लॉग पर हम agreegator का इस्तेमाल करते हैं . अब देखिये वो सब यहाँ मौजूद है . जो नहीं है . उसमे से कुछ का उल्लेख ऊपर है . बनाइये निराला , महादेवी , तुलसी , मीराबाई का हत्था और फिर पन्त , अज्ञेय , केदारनाथ , नागार्जुन का भी . देर किस बात की शुरू हो जाइए .
अपने ब्लॉग के लिए पाठक आपको फॉलोअर से मिल जायेंगे . और त्वरित टिप्पणी भी . लेखक या कवि के लिए इससे नयी क्या बात होगी . मैं देखना चाहता हूँ की हिंदी कवि / लेखकों पर अन्ताक्षरी हो . और आप उनका प्रचार करें अपने प्रिय कवि या लेखक का हत्था बनाकर . अच्छी रचनाएं अच्छे भोजन की तरह भूख पैदा करती हैं . मानसिक भूख पेट की जगह मस्तिष्क में जन्म लेती है . फिर आप अच्छे लेखक और कवियों की रचनाएँ खोजते हैं , किताबें खरीदतें हैं , पढ़ते हैं. और उस पर चर्चा करते हैं . कभी कभी यह भूख से एक कदम आगे जाकर नशा भी बन जाता है . वैसे ये नशा बुरा नहीं . हांलाकि कभी कभी इस नशे की सामग्री भी पाबंदी की ज़द में आ जाती हैं .
अपनी नयी रचना का सृजन यहाँ कर सकते है . एक के बाद एक जब समय मिले . लिखते जाएँ . गर्भ से निकलती कविता को पढ़ना नया अनुभव होगा . और जब पूर्ण हो तब जन्म के बाद उसे अपने ब्लॉग पर ले जाएँ . यहाँ बहुत से लोग दाई का फ़र्ज़ भी अदा कर सकते हैं .
ब्लॉग पर आप अपनी पोस्ट या चिट्ठे के अलावा किसी विषय पर संवाद नहीं करते . यहाँ उसके साथ साथ अन्य विषय भी विचार विमर्श कर सकते हैं . यहाँ झुम्पा लहरी हैं और तसलीमा नसरीन भी . और सलमान रश्दी साहब भी आ गए हैं . और कभी कभी जावेद अख्तर साहब भी कुछ न कुछ कह जाते हैं .अगर आप किसी हिन्दी के लेखक या कवि को जानते है तो उसे भी बुलाएं . खूब रंग जमेगा जब मिल बैठेंगे यार दो . किसी विज्ञापन का जूमला है . क्या करें ? जहां चार यार मिल जाएँ वहीं रात हो गुलज़ार . हाँ @p1j गुलज़ार की कवितायें ले आते हैं .
अब नीचे हाल की त्वरितर पर घटी कुछ संवादों की बानगी आपके लिए पेश है . जिसके गर्भ से इसकी उत्पत्ति हुई . और कुछ आपके परिचित हत्ते भी हैं हाँलाकि यहाँ इनका नाम कुछ अपिरिचित सा लगे अब जब आयेंगे तो खुद परिचय भी हो जाएगा . यह आप के लिए छोड़ रहा हूँ . अब इनके हत्ते आप चढ़ जाएँ .
त्वरितर पर मुझे आपका और आपके माध्यम से हिन्दी का इन्तेजार रहेगा . हम आपके स्वागत के लिए पलक -पाँवडे़ बिछाए तैयार बैठे हैं . देर किस बात की .
@ravishndtv त्वरितर । ट्वीटर का हिन्दी में ये पुकार नाम कैसा रहेगा ।
@ravishndtv त्वरितर में राय देने की दुकान खुली है । बड़े लोग वॉलमार्ट की तरह राय देते हैं । हम फॉलोअर किराना स्टोर की तरह मुस्कुरा देते हैं ।
@brahmatmajay लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?#rajeshjoshi #राजेश जोशी
@brahmatmajay आज की कविता फरीद की है...शीर्षक है मुस्कराहटें....
@brahmatmajay जब अमीर मुस्कुराता है, तो लगता है,शासक मुस्कुरा रहा है, कि देश की कमज़ोर नब्ज़ उसके हाथ में है, कि जब भी उसे मज़ा लेनाहोगा, दबा देगा थोड़ासा
@brahmatmajay आज घूमिल की पटकथा की पंक्तियां थीं...अब मन थोड़ा शांत हुआ है...चलूं फिर से मनारंजन का पापड़ बेलने
@brahmatmajay मैं तुम्हें वह सत्य बतलाता हूँ जिसके आगे हर सचाई छोटी है। इस दुनिया में भूखे आदमी का सबसे बड़ा तर्क रोटी है।
@aptrivedi २. जो देय था वह दे चुके/ जो गेय था,छंदित चुके/हम मानते आकाशगंगा हैं तुम्हे / पर क्या करें?? / रख नहीं सकते क्षितिज पर एक भी सोपान - #NareshM
@aptrivedi 1.असल में वह एक दिलचस्प ग़लतफ़हमी का शिकार है जो वह सोचता कि पेशा एक जाति है और भाषा पर आदमी का नहीं,किसी जाति का अधिकार है #Kavita #Dhumil 24 Nov.
@blogprahari @hamarivani @networkedblogs @blogjunta @chitthajagat @indiblogger @BlogGlue @blogger
@parikalpnaa @srijanshilpi @janokti @kaafila
@arunruhela @doshabd @santoshtrivedi @mishrashiv @kvachaknavee @fursatiya @giribala @chavaanichap @veer_ki_kalam @kavyalok @vandanadubey @sangitapuri @vandanagupta4 @kaviramkumar @ajaykumarjha197 @shyamalsuman @@sameerlal @ravitaneja @satishsaxena @raviratlami @navinchaturved @gyandutt @arkjesh @lekhni @avin_vachaspati @girishbillore @praveentrivedi @ravitaneja @aarambh @chiplunkar @eswami @tarkash @afloo @sunildeepak @girijeshrao @nuktachini @avinashonly @drdwivedi1 @shabdavali @masijeevi @kakesh @pspabla @meenudhanwantari @ananddadhich @Dreamer_Anu
हर व्यक्ति का कोई ना कोई प्रिय लेखक या कवि होता है . अगर कुछ बंधू कोशिश करें तो उस कवि या लेखक के नाम से एक खाता या हत्था खोल लें . और उनकी चुनिन्दा पंक्तियाँ उसके द्वारा अन्य लोगों तक पहुंचाएं .
मैंने भी अपना हत्था पहले खोला था . पर सक्रिय नहीं था . ब्लॉग पर कुछ लिखो और फिर बैठकर इन्तेजार करो . किसी ने पढ़ा या नहीं . चूँकि ब्लॉग पर कोई सारा दिन बैठा नहीं रहता इसलिए इसपर विचार विनिमय संवादात्मक नहीं हो पाता. और दिल खिन्न रहता है . इसलिए भी त्वरितर अच्छा लगा . आप जिसकी चाहें प्रशंसा करें या बखिया उधेड़ें. और संवादात्मकता भी ऐसी की आपको लपेट ले .
और सिर्फ शब्दों का इस्तेमाल न हो इसलिए मुझे अपने अनुभव से लगा की #SHAIR जिसमे कई लोग किसी विषय पर या किसी शायर की शायरी एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार त्वरितर करते हैं . आप आ कर एक बार देख लें . #SHAIR पर खोजें तो आपको उस पर हुए सारे त्वरितर संवाद अपने आप मिल जायेंगे . आपके आने के पूर्व के भी . इससे जिसने उस कवि या लेखक को नहीं भी पढ़ा उसे भी उसे पढने का मौका मिलता है और वह उसे पढने का प्रयास करता है . हम कुछ लोग इसमें हिन्दी के गाने , कविता , दोहे भी डाल देते हैं और यह सब सहज चलता है . दुष्यंत , गुलज़ार , धूमिल , कुमार अम्बुज की कवितायें यहाँ कुछ सीमित मात्रा में ही सही आ गयी है . आपके पदार्पण की देर है .
बहुत से ब्लॉग पर हम agreegator का इस्तेमाल करते हैं . अब देखिये वो सब यहाँ मौजूद है . जो नहीं है . उसमे से कुछ का उल्लेख ऊपर है . बनाइये निराला , महादेवी , तुलसी , मीराबाई का हत्था और फिर पन्त , अज्ञेय , केदारनाथ , नागार्जुन का भी . देर किस बात की शुरू हो जाइए .
अपने ब्लॉग के लिए पाठक आपको फॉलोअर से मिल जायेंगे . और त्वरित टिप्पणी भी . लेखक या कवि के लिए इससे नयी क्या बात होगी . मैं देखना चाहता हूँ की हिंदी कवि / लेखकों पर अन्ताक्षरी हो . और आप उनका प्रचार करें अपने प्रिय कवि या लेखक का हत्था बनाकर . अच्छी रचनाएं अच्छे भोजन की तरह भूख पैदा करती हैं . मानसिक भूख पेट की जगह मस्तिष्क में जन्म लेती है . फिर आप अच्छे लेखक और कवियों की रचनाएँ खोजते हैं , किताबें खरीदतें हैं , पढ़ते हैं. और उस पर चर्चा करते हैं . कभी कभी यह भूख से एक कदम आगे जाकर नशा भी बन जाता है . वैसे ये नशा बुरा नहीं . हांलाकि कभी कभी इस नशे की सामग्री भी पाबंदी की ज़द में आ जाती हैं .
अपनी नयी रचना का सृजन यहाँ कर सकते है . एक के बाद एक जब समय मिले . लिखते जाएँ . गर्भ से निकलती कविता को पढ़ना नया अनुभव होगा . और जब पूर्ण हो तब जन्म के बाद उसे अपने ब्लॉग पर ले जाएँ . यहाँ बहुत से लोग दाई का फ़र्ज़ भी अदा कर सकते हैं .
ब्लॉग पर आप अपनी पोस्ट या चिट्ठे के अलावा किसी विषय पर संवाद नहीं करते . यहाँ उसके साथ साथ अन्य विषय भी विचार विमर्श कर सकते हैं . यहाँ झुम्पा लहरी हैं और तसलीमा नसरीन भी . और सलमान रश्दी साहब भी आ गए हैं . और कभी कभी जावेद अख्तर साहब भी कुछ न कुछ कह जाते हैं .अगर आप किसी हिन्दी के लेखक या कवि को जानते है तो उसे भी बुलाएं . खूब रंग जमेगा जब मिल बैठेंगे यार दो . किसी विज्ञापन का जूमला है . क्या करें ? जहां चार यार मिल जाएँ वहीं रात हो गुलज़ार . हाँ @p1j गुलज़ार की कवितायें ले आते हैं .
अब नीचे हाल की त्वरितर पर घटी कुछ संवादों की बानगी आपके लिए पेश है . जिसके गर्भ से इसकी उत्पत्ति हुई . और कुछ आपके परिचित हत्ते भी हैं हाँलाकि यहाँ इनका नाम कुछ अपिरिचित सा लगे अब जब आयेंगे तो खुद परिचय भी हो जाएगा . यह आप के लिए छोड़ रहा हूँ . अब इनके हत्ते आप चढ़ जाएँ .
त्वरितर पर मुझे आपका और आपके माध्यम से हिन्दी का इन्तेजार रहेगा . हम आपके स्वागत के लिए पलक -पाँवडे़ बिछाए तैयार बैठे हैं . देर किस बात की .
@ravishndtv त्वरितर । ट्वीटर का हिन्दी में ये पुकार नाम कैसा रहेगा ।
@ravishndtv त्वरितर में राय देने की दुकान खुली है । बड़े लोग वॉलमार्ट की तरह राय देते हैं । हम फॉलोअर किराना स्टोर की तरह मुस्कुरा देते हैं ।
@brahmatmajay लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?#rajeshjoshi #राजेश जोशी
@brahmatmajay आज की कविता फरीद की है...शीर्षक है मुस्कराहटें....
@brahmatmajay जब अमीर मुस्कुराता है, तो लगता है,शासक मुस्कुरा रहा है, कि देश की कमज़ोर नब्ज़ उसके हाथ में है, कि जब भी उसे मज़ा लेनाहोगा, दबा देगा थोड़ासा
@brahmatmajay आज घूमिल की पटकथा की पंक्तियां थीं...अब मन थोड़ा शांत हुआ है...चलूं फिर से मनारंजन का पापड़ बेलने
@brahmatmajay मैं तुम्हें वह सत्य बतलाता हूँ जिसके आगे हर सचाई छोटी है। इस दुनिया में भूखे आदमी का सबसे बड़ा तर्क रोटी है।
@aptrivedi २. जो देय था वह दे चुके/ जो गेय था,छंदित चुके/हम मानते आकाशगंगा हैं तुम्हे / पर क्या करें?? / रख नहीं सकते क्षितिज पर एक भी सोपान - #NareshM
@aptrivedi 1.असल में वह एक दिलचस्प ग़लतफ़हमी का शिकार है जो वह सोचता कि पेशा एक जाति है और भाषा पर आदमी का नहीं,किसी जाति का अधिकार है #Kavita #Dhumil 24 Nov.
@blogprahari @hamarivani @networkedblogs @blogjunta @chitthajagat @indiblogger @BlogGlue @blogger
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@arunruhela @doshabd @santoshtrivedi @mishrashiv @kvachaknavee @fursatiya @giribala @chavaanichap @veer_ki_kalam @kavyalok @vandanadubey @sangitapuri @vandanagupta4 @kaviramkumar @ajaykumarjha197 @shyamalsuman @@sameerlal @ravitaneja @satishsaxena @raviratlami @navinchaturved @gyandutt @arkjesh @lekhni @avin_vachaspati @girishbillore @praveentrivedi @ravitaneja @aarambh @chiplunkar @eswami @tarkash @afloo @sunildeepak @girijeshrao @nuktachini @avinashonly @drdwivedi1 @shabdavali @masijeevi @kakesh @pspabla @meenudhanwantari @ananddadhich @Dreamer_Anu
हिंदी अपने अस्तित्व के लिए इस तकनीकी दौर में निर्णायक मोड़ पर खड़ी है /कई बार मुझसे रोमन में उन काव्यों का निरूपण करने का आग्रह किया जाता है ,जिनकी शिल्प की खूबसूरती का एक कारण उनकी लिपि है /फिर भी ट्विट्टर पर कुछ थोडा प्रयास भी ,शायद निर्णायक हो !!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंट्विटर का नया नाम त्वरितर अच्छा लगा और अपने तईं सार्थक भी. मुझे भी फेसबुक की बनिस्पत यह सूक्ष्म सन्देश प्रदाता ज़्यादा सुगम लगता है.ब्लॉग पर ज़रा लंबा और गंभीर लेखन होता है पर इसमें कम शब्दों में 'गागर में सागर ' की तर्ज़ पर आप देश-दुनिया से तुरत रूबरू हो जाते हैं.
जवाब देंहटाएंकई बार इसके सन्देश बड़े मारक होते हैं.इसकी गुणवत्ता इसलिए भी अच्छी होती है कि कम शब्दों में कितनी चतुराई से कोई अपनी बात संप्रेषित कर सकता है !
आप निहायत साहित्य और हिंदी की अमूल्य सेवा कर रहे हैं,साधुवाद !
इस खाकसार को अपनी लिस्ट में स्थान देने का आभार !
अगर आप सारथी बन कर कृतार्थ करें ,तो ये कर्ण समर्पण के लिए तैयार है /
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग ने भाषा बदली। अब माइक्रोब्लॉगिंग बदल रही है।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक है यह फिनॉमिना!
संतोष जी - त्वरितर रवीश जी द्वारा दिया गया है और बहुत सुन्दर है . ब्लॉग एग्रीगेटर वो लुत्फ़ नही देते . इसलिए मैंने आज कुछ सुबह ब्लॉग यात्रा पर निकला और वहाँ से कुछ त्वरितर पर बांटा . आशा है और लोग भी ऐसा करेंगे . ज्ञान जी आपसे पूरी सहमती है . अब हम इसका उपयोग करें बस .
जवाब देंहटाएं@navincchaturved अब धीरे धीरे सक्रिय हो रहे हैं . जो ब्लॉगर बंधू अभी भी कुछ प्रश्नों के उत्तर की खोज में हैं वे दिए गये लिंक पर अपने प्रश्नों का उत्तर पा सकते हैं https://support.twitter.com/groups/31-twitter-basics#topic_108
जवाब देंहटाएं"जो भी इसके बाद लिखें वह उनतक पहुँच जाएगा"
जवाब देंहटाएंपहुँच गया :)