22 जून 2010

जिसने सुना हो

तुम जिसके ख्वाब की कल्पना हो ,
उसे फिर स्वप्न देखना भी मना हो .
तेरी याद बदन में सिहरन भर दे ,
तेरा साथ धूप सा जो गुनगुना हो .
गुनगुनाता है , हमारे बागीचे कूकती
कोयल का  गान जिसने सुना हो .
कारागार का संतरी आठों प्रहर,
जो कैदी है , चेहरा उसका तना हो .

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