बहुत दिनों से
या फिर महीनों से
गुमसुम सी नदी से
उस संकरी गली से
बिछड़े शहर से
अपने घर से
बातचीत बंद है |
परचून की दुकान से
मंदिर के भगवान से
छत की मुंडेर से
कचनार - कनेर से
मस्जिद की मीनारों से
कबूतरबाज़ यारों से
बातचीत बंद है |
भावनाओं के अतिरेक में
आवेश में, आवेग में
अपनी बोली से
तानों - ठिठोली से
कर्कशा उदगारों से
संकीर्ण उच्चारों से
बातचीत बंद है |
गुमसुम सी नदी से
उस संकरी गली से
बिछड़े शहर से
अपने घर से
बातचीत बंद है |
परचून की दुकान से
मंदिर के भगवान से
छत की मुंडेर से
कचनार - कनेर से
मस्जिद की मीनारों से
कबूतरबाज़ यारों से
बातचीत बंद है |
भावनाओं के अतिरेक में
आवेश में, आवेग में
अपनी बोली से
तानों - ठिठोली से
कर्कशा उदगारों से
संकीर्ण उच्चारों से
बातचीत बंद है |
हम दो मुल्कों में
कसी हुई मुश्कों में
मन में बंधी गाठों की
घातों-प्रतिघातों की
कपट चतुराई से
ढोंगी लुनाई से
बातचीत बंद है |
वैसे भी लड़ने झगड़ने से
खांमखां अकड़ने से
फर्जी मुस्कान से
दिखावे के सम्मान से
खोखले निर्बंध से
अच्छा है - खत्म संबंध है
बातचीत बंद है |
बातचीत बंद है |
वैसे भी लड़ने झगड़ने से
खांमखां अकड़ने से
फर्जी मुस्कान से
दिखावे के सम्मान से
खोखले निर्बंध से
अच्छा है - खत्म संबंध है
बातचीत बंद है |
आज कल लोग कहाँ आपस में बात करते हैं ..सब खुद में ही गुम रहते हैं ..अच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवैसे भी लड़ने झगड़ने से
जवाब देंहटाएंखांमखां अकड़ने से
फर्जी मुस्कान से
दिखावे के सम्मान से
खोखले निर्बंध से
अच्छा है - खत्म संबंध है
बातचीत बंद है |
अच्छी रचना -पर आजकल बातचीत का ही ज़माना है -
कविता भी तो बातचीत का एक माध्यम ही है -
फिर बात चीत बंद कहाँ है
जबकि मैं जानता हूँ कि 'इन्कार से भरी हुई एक चीख़'
जवाब देंहटाएंऔर 'एक समझदार चुप'
दोनों का मतलब एक है-
भविष्य गढ़ने में, 'चुप' और 'चीख'
अपनी-अपनी जगह एक ही किस्म से
अपना-अपना फ़र्ज अदा करते हैं।
- सुदामा पांडेय 'धूमिल'
बातचीत बंद है . चलो ध्वनि बंद है . वैसे मौन रहना भी कुछ कहता है .
Wakai Behtreen rachna, man ko chu gaye aapke jajbaat
जवाब देंहटाएंवेसे मोन हर समस्या का हल तो नहीं पर जब समझने वाला न समझे तो बात- चीत बंद ही ठीक है !
जवाब देंहटाएंसन्देश देती रचना !
Yatharth ka chitran badi hi khubsurati se aapne kiya hai .
जवाब देंहटाएंHar pankti men gahari samvedana chupi hai .
Kavia ke bhaw dil tak pahunchate hain .
Saadhuwaad.
"Hi there, Atul, How you been? IndiBlogger is coming back to our favorite city Kolkata after a long time. Its been 2 years since IndiBloggers last meet. We hope to catch up again at the meet!Did you sign up for Kolkata IndiBlogger Meet If you haven't already, do sign up today, Only 200 seats available. Entry is free with loads of fun. Cheers,
जवाब देंहटाएंKarthik
IndiBlogger Team
"
संदेश देती हुई एक बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंलेकिन बातचीत बंद होने से कोई मार्ग नहीं निकलता...
.
जवाब देंहटाएंWonderful creation! Beautifully written indeed. But I feel , life is not just 'an open and shut case' . The show must go on !
.