(भूमिका परिचय - कक्षा - बारह / विषय - हिंदी साहित्य / स्कूल - केंद्रीय विद्यालय / पी जी टी हिन्दी - चमनलाल मास्साब / शहर - राजकोट / भोपाल / अंक - ७६ प्रतिशत )
उनका आग्रह था
व्याकरण ठीक हो
भाषा की दुर्बलता
शब्दों का गलत चयन
मात्रा की कमजोरी
देर सबेर सुधरेगी .
संधि अलंकार सारे
तत्सम समास सारे
भूत वर्त्तमान काल
आत्मसात कर लिए
सब तूणीर धर लिए .
पुस्तकालय की पुस्तकें पढ़ीं
कवितायें , निबंध , कहानियाँ , नाटक , उपन्यास
सब प्रतिश्रुति , भंगिमाएं , दृष्टि , विवेचना
संस्कृति के सारे स्तम्भ
सारे रस सारे रंग .
कवि सम्मेलन, मुशायरा
दाद, उस्ताद , वाह वाह करा
बहस मुबाहिसे से गुजरा
सब कुछ धरा .
हथियार बेधार के
शब्द उधार के
इधर उधर घुमाता
उधेड़बुन भुनाता
अलाव में तपाता
कच्ची मिट्टी का घड़ा
कब भरा ?
अलकनंदा - भागीरथी की क्षीण धाराएँ
स्वर्ग से उतारी गंगा हो जाएँ
गंगोत्री से मुहाने तक
एक यात्रा कितने पड़ाव
धोएं भागीरथ के सहस्त्र पुरखों के घाव
तरणतारिणी गंगा शब्द नहीं सृष्टी है
जीवन दर्शन दृष्टी है
बाहिर है भीतर है
भाषा संवाद है
हंसी है रुदन है मिठास है
श्रृंगार है तंज है विषाद है
जुड़ना सिर्फ मिलन नहीं अभिव्यक्ती है
कविता प्रतिमा नहीं जिवीत व्यक्ति है .
हिंदी का अध्यापक व्याकरण पढ़ाता
बस जुड़ना नहीं सिखाता .
नहीं है चमनलाल मास्साब की कोई आलोचना
इतनी बार गुजरा
आँखों में नहीं उतरा
इलाहाबाद के पथ पर
उसका पत्थर तोड़ना .
अब तक सवाली हूँ
भीतर से खाली हूँ .
mann ke kone kone me bhaw fail gaye ... mahsoos ker rahi hun in ehsaason ko
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत सुंदर कविता है।
जवाब देंहटाएंबस जुड़ना नहीं सिखाता .
जवाब देंहटाएंनहीं है चमनलाल मास्साब की कोई आलोचना
इतनी बार गुजरा
आँखों में नहीं उतरा
इलाहाबाद के पथ पर
उसका पत्थर तोड़ना .
अब तक सवाली हूँ
भीतर से खाली हूँ .
गहन भाव से भरी बहुत सुंदर कविता ....!!