अबकी बारिशों में सराबोर का मन है
उसकी यादों से रक्स मोर का मन है .
कौन खड़ा है बंद दरवाजों के पीछे ,
तांकता-झांकता किस चोर का मन है .
सुलगा जिनके चुम्बन से दावानल ,
उन पत्थरों से घटा- घनघोर का मन है .
समंदर के किनारे रेत पर लेटे हुए
तुम्हारे नाम की हिलोर का मन है .
अँधेरी रात कड़कती बिजली से डर के
लिपट जाये सोचता कमजोर का मन है .
अबकी बारिश में दरक जायेगा ये मंका
तुम्हारे शहर में किसी ठोर का मन है .
इन वादियों में लेकर तुम्हारा नाम
खामोशी तोड़ने , कुछ शोर का मन है .मौसम के दस्तूर बहुत पुराने हैं
गर्म पकौड़ी - चाय चटोर का मन है
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