ख़त का जवाब ले आएगा हरकारा
निस दिन चहुँ ओर कोयल कूकेगी
हम नदी में दीप जलाने आ गए,
तुम्हारे गाँव जायेगी यह जलधारा .
चाहो मीत पुराना जब टूटे एक तारा .
निस दिन चहुँ ओर कोयल कूकेगी
भूला भटका दिख जाये बादल बंजारा.
पत्ता पत्ता जलतरंग जब झूमे सावन
अम्बर नाचे हाथों में ले इकतारा.हम नदी में दीप जलाने आ गए,
तुम्हारे गाँव जायेगी यह जलधारा .
अक्सर चांदनी रातों में छत पर ,
ढाई अक्षर अपने ढूंढे शहर सारा .
उस कुँए में सिक्का डाल के चाहा ,
सपनो को उग आयें पर , यारा !!
अक्सर चाँदनी रात में ... बहुत ही सही एहसासों को उभारा है
जवाब देंहटाएंभीनी भीनी प्रेम की फुहार उड़ रही हो जैसे ... अच्छी पंक्तियाँ हैं अतुल जी ...
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