नवीन किसलय कुञ्ज में
वसंत बांसुरी की गूँज में
विहंग कलरव , भ्रमर राग
आरती माधुर्य स्वर-पुंज में
गाओ राग
जैजैवंती रे !
मनरंगी रे !!
शंख स्वर , घंट निनाद बाजे
बाजे मृदंग , खर-ताल बाजे
कर-ताल सुन , ओंकार धुन
नाचे मयूर पंख पसार साजे
जैसे कोई
सतरंगी रे !
मनरंगी रे !!
कमर करधनी , चली मोरे अंगना
हाथों में मेहंदी , अली मोरे अंगना
कानों में झुमका , पाजेब खनका ,
धानी चुनर , हाथों में कंगना
बाजे चूड़ियाँ
पचरंगी रे !
मनरंगी रे !!
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण-सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंVery nice. Specially liked the rural tone.
जवाब देंहटाएंAnurag
Thank you for reading me.
जवाब देंहटाएंYou write beautifully, happy to have discovered your writing.
भाई सब पढ़ी एक एक करके ... दो दिन से लगातार...
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