23 नवंबर 2010

आईना

मुमकिन है तुम खुदा नहीं हो 
इसका तुम्हे कुछ पता नहीं हो |
तुम भी हो एक चेहरा फकत ,
तुम कोई आईना नहीं हो |
क्यों दोहराते हो पिछली बातें ?
जैसे हमने सुना नहीं हो |
यादों के संग कैसे गुजरे ?
जब कोई अपना नहीं हो |
वो घर जल खाक हो जाये ,
जिसमे कोई रहता नहीं हो |
मैंने भी एक ख़त डाला है ,
जो तुम तक पहुंचा नहीं हो |

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