8 नवंबर 2010

मुझे पूछते जाओ

शिल्पी नहीं हूँ -
इसलिए आकार नहीं हूँ 
रंग नहीं हूँ -
बल्कि चित्रकार नहीं हूँ |
सूक्ष्म नहीं हूँ -
इसलिए न कोमलता 
            न भावनाएं 
            न अनुभूति 
            न   प्यार  |
स्थूल नहीं हूँ -
            इसलिए न मांसलता 
                        न स्निग्धता 
                        न देह-यष्टी 
                        न  एकाकार |
मैं , मैं हूँ , जैसा हूँ 
तुम , तुम हो , जैसे हो |
शब्द हूँ -
                    इसलिए ,
          बल्कि इसीलिए 
                  हालात हूँ 
                  स्थिति हूँ 
                  दृष्टी     हूँ 
               हूँ मनोदशा |
पंक्तियाँ  नहीं बन सका -
  चूँकि व्याकरण नहीं था |
वाक्य हूँ -
इसलिए विक्षिप्त हूँ |
अर्थ था -
माना नहीं गया |
इसलिए रहा -
अजाना ,
अबूझा ,
अकेला ,
और त्याज्य |
छपा नहीं -
चूँकि ढल नहीं सका |
पढ़ा नहीं गया ,
गाया नहीं गया ,
          कर्कश हूँ 
  कठोर निकला 
    लयहीन रहा |
चला नहीं -
चूँकि खड़ा रहा 
न प्रवाह में बह सका ,
       न फिसल सका |
  देखा नहीं गया
पलटा नहीं गया 
चूँकि - 
         मुखपृष्ठ आकर्षक नहीं था ,
         आवरण था सामान्य , रंगहीन
         पृष्ठ  बेतरतीब बंधे थे 
                   सज्जा अनुरूप नहीं थी
और  स्वयं को प्रचलन के अनुरूप नहीं ढाला |
चर्चा का -
न कुपात्र , न सुपात्र |
न व्यवहार निकला 
         न गर्मजोशी 
         न  प्रतीक्षा 
        न  प्रशस्ति 
और न चमड़े की जुबान ही चलती |
स्वयं को स्वयं प्रचारित होना आया नहीं 
                                   भाया नहीं |
कोई आया तो बांछे खिली नहीं 
किसी को 
चेहरे पर सदा मुस्कराहट मिली नहीं 
याचक का भाव आँखों में आया नहीं 
किसी के द्वार पर यशोगान गाया नहीं 
प्रशस्ति उन्हें मिली , जो पढ़ सके 
बहाने उनको दिए गए , जो गढ़ सके 
उनको बुलाया गया, जो बिन बुलाये गए 
उनके हाथ गर्म हुए , जो गर्मजोशी से मिले 
दाम उनके लगे , जो बोली बोल सके |
बह नहीं सका , बहा नहीं सका 
न नदी हूँ , न समुद्र 
की अपने अन्दर फेंका गया सारा कूड़ा -करकट 
ज्वार उठा अपने अंतस 
किनारे तक ले चलूँ , फेंक दूं |
मैं 
रास्ता हूँ 
नहीं | 
जमीन हूँ , मुझ पर चलो |
मैं सूर्य हूँ |
नहीं उष्मा हूँ ,
मुझ में नहीं 
मेरे साथ जलो 
मैं तुम्हारे साथ हूँ 
तुम्हारे बराबर |
मैं तुम्हारा कद हूँ 
              काठी हूँ 
              दिल  हूँ
           दिमाग हूँ |
और भी हूँ सब कुछ तुम्हारा | तुम्हारे जैसा |
मैं बंधन नहीं -
मुझे बाँहों में  घेरो मत|
मैं आनंद नहीं -
मुझे भोगकर प्राप्त मत करो |
मैं तृष्णा नहीं 
मेरी कामना करो मत |
मैं संतोष नहीं 
जिसको तुम पा लोगे |
मैं बीतता हुआ पल हूँ 
मुझे चुक जाने दो , रोको मत |
आगे देखो , मैं फिर आऊंगा |
मैं अनंत हूँ - मुझको 
               कहाँ तक खोजोगे ?
               कब तक भोग करोगे ?
               कितना  संचित करोगे ?
मुझको - क्या बाँधोगे ?
मुझको , लक्ष्य मत मानो|
"क्यों ?", "क्यों ?" , "क्यों ?"
एक प्रश्न हूँ | उत्तर नहीं |
मुझे पूछते जाओ ,
मुझे पूछते जाओ ,
मुझे पूछते जाओ |
"मैं " - देखना , निकलूँगा एक दिन - "तुम " ही |
पूछो - 
"क्यों ?", "क्यों ?" , "क्यों ?"

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