यदुवंशी कृष्ण का वंशज नहीं
न ही सूर्यवंशी राम का अतिशेष
असंख्य आकाशगंगाओं और निहारिकाओं में स्थित
एक निमित्त , एक बिंदु , एक अवशेष
भवसागर की लहरों की एक आवृत्ति
समय के फलक पर एक पल या तिथि
जल में उठे बुलबुले का एक आवेग
बदलते मौसम में एक पटाक्षेप
किसी वाक्य के मुहाने पर बैठा पूर्णविराम
एक अधलिखी कविता में शब्दों का कोहराम
किसी विचार की तरह मन में ऊपजी भाषा
स्मृति के धरातल पर पुनर्जन्म की अभिलाषा
गीली रेट पर मिटते कदमों का निशां
डूबते सूरज की आकाश में फ़ैली लालिमा
अपनी कहानी - अपनी जुबानी
किसी सभ्यता के तुंग शिखरों पर प्रदीप्त सूर्य
किसी सुनामी या भूकंप के आतंक से अमूर्त |
mere paas shabda nahi ...kya kahonn bahut sundar likha hai aapne....pankti pankti ati sundar
जवाब देंहटाएंकिसी सभ्यता के तुंग शिखरों पर प्रदीप्त सूर्य
जवाब देंहटाएंकिसी सुनामी या भूकंप के आतंक से अमूर्त |
विचारणीय रचना
gahan abhivyakti.
जवाब देंहटाएंआदरणीय अतुल प्रकाश त्रिवेदी जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
पहली बार आना हुआ आपके यहां … और हमेशा के लिए आपके हो गए हैं … :)
अजी फॉलो कर लिया न !
आपके पूरे ब्लॉग का अवलोकन अभी शेष है … तसल्ली से करूंगा …
ताज़ा कविता कमाल की है …
किसी वाक्य के मुहाने पर बैठा पूर्णविराम
एक अधलिखी कविता में शब्दों का कोहराम …
… बहुत ख़ूब !
सुंदर , भावप्रवण , गुरुत्व से पूर्ण शब्दावली के लिए साधुवाद !
नवरात्रि की शुभकामनाएं !
साथ ही…
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!
*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*
- राजेन्द्र स्वर्णका