वर्षा की प्रथम
बूंदों का आगमन
भीनी मिट्टी की सोंधी महक
खो गयी कंक्रीट के जंगल में |
भीड़ भरे बागों में
कोयल नहीं कूकती
बजती सीटी
बिकती मूंगफली
खोमचेवालों की भीड़ में
खो गयी तितली |
तालाब भर गये
नदियों / नालों की
कब्र पर खडी अट्टालिकाएं
ढूँढती है सजाये रक्खे बैठकों में
मञ्जूषा में बंद नौकाओं के प्रतिमान
रोती जब प्रकृति नियती पर हमारी |
बोनसाई के जंगल में
यांत्रिक भालू , शेर , हाथी , बाघ
सारे पक्षी और व्याघ्र
और कदाचित मानव नस्ल का भी
प्रादुर्भाव |
बोनसाई के जंगल में
जवाब देंहटाएंयांत्रिक भालू , शेर , हाथी , बाघ
सारे पक्षी और व्याघ्र
और कदाचित मानव नस्ल का भी
प्रादुर्भाव |
गंभीर रचना ......!
आदमी को मयस्सर नहीं इन्सां होना ......!!