राजा के हाथों में है -
एक फेहरिश्त .
फेहरिश्त में हैं नाम -
कुछ बड़े , कुछ छोटे ,
कुछ लम्बे , कुछ नाटे,
कुछ असली , कुछ खोटे,
कुछ ऊपर , कुछ नीचे ,
कुछ ढीले , कुछ खींचे ,
कुछ खुले , कुछ मींचे .
कुछ पहचाने - कुछ अनजाने .
कुछ जागे, कुछ अनमने .
फेहरिस्त में नाम -
घटते हैं , बढ़ते हैं .
कटते हैं , जुड़ते हैं .
फेहरिस्त में शामिल नाम
चाहते हैं -
दौड़ना - चाबुक लिए किले की प्राचीर पर .
बैठना - दरबार में .
पहुंचना- ख्वाबगाह में .
झुकना - कोर्निश में .
दबाना - अर्जी .
कानाफूसी - फर्जी .
पुतना - रंगमहल में , वार्निश में .
जुड़ना - लगान वसूली से. जोर से - जबरदस्ती से .
कारिंदे से , महाजन से .
महँगी से , सस्ती से .
घर से , बाज़ार से .
रुक्का लिए , खजाने की ताकीद पर .
फेहरिस्त में शामिल नाम ,
बनना चाहते हैं - ' राजाज्ञा " .
डराना - ' प्रजा ".
फेहरिस्त के नाम चाहते हैं
मिटाना - दूसरे सब नाम , काँट- छाँट.
देना - राजा की डांट.
धकेलना - बाकि सब नाम ,
फेहरिस्त के बाहर. हाशिये पर .
राजा की फेहरिस्त -
लम्बी हो ,
छोटी हो ,
असल हो ,
खोटी हो .
वास्तव में एक शतरंज है .
तुम एक नाम हो , गोटी हो .
खेल - जहाँ - प्यादे से पिट जाये वजीर ,
लुटेरे का नाम निकले फकीर .
जहाँ हर चाल सियासत हो ,
जहाँ बेगम की बादशाहत हो .
जहाँ हाथी हो ,
ऊंट हो ,
घोड़े हों .
कुछ जियादा हों , थोडें हों .
सबकी एक चाल हो ,
सब मालामाल हों .
कुछ बंद कमरों में हो ,
कुछ सरे आम हो .
और खुद चाहता हो बादशाह
की
इतिहास की फेहरिस्त में - उसका नाम
सबसे ऊपर
सुनहरे हर्फों में हो .
ताकि सनद रहे .
पर ,
इतिहास राजा नहीं लिखता ,
वक्त लिखता है .
उस पर किसका चलता है ?
- गुवाहाटी १८ अक्तूबर , २०००
एक फेहरिश्त .
फेहरिश्त में हैं नाम -
कुछ बड़े , कुछ छोटे ,
कुछ लम्बे , कुछ नाटे,
कुछ असली , कुछ खोटे,
कुछ ऊपर , कुछ नीचे ,
कुछ ढीले , कुछ खींचे ,
कुछ खुले , कुछ मींचे .
कुछ पहचाने - कुछ अनजाने .
कुछ जागे, कुछ अनमने .
फेहरिस्त में नाम -
घटते हैं , बढ़ते हैं .
कटते हैं , जुड़ते हैं .
फेहरिस्त में शामिल नाम
चाहते हैं -
दौड़ना - चाबुक लिए किले की प्राचीर पर .
बैठना - दरबार में .
पहुंचना- ख्वाबगाह में .
झुकना - कोर्निश में .
दबाना - अर्जी .
कानाफूसी - फर्जी .
पुतना - रंगमहल में , वार्निश में .
जुड़ना - लगान वसूली से. जोर से - जबरदस्ती से .
कारिंदे से , महाजन से .
महँगी से , सस्ती से .
घर से , बाज़ार से .
रुक्का लिए , खजाने की ताकीद पर .
फेहरिस्त में शामिल नाम ,
बनना चाहते हैं - ' राजाज्ञा " .
डराना - ' प्रजा ".
फेहरिस्त के नाम चाहते हैं
मिटाना - दूसरे सब नाम , काँट- छाँट.
देना - राजा की डांट.
धकेलना - बाकि सब नाम ,
फेहरिस्त के बाहर. हाशिये पर .
राजा की फेहरिस्त -
लम्बी हो ,
छोटी हो ,
असल हो ,
खोटी हो .
वास्तव में एक शतरंज है .
तुम एक नाम हो , गोटी हो .
खेल - जहाँ - प्यादे से पिट जाये वजीर ,
लुटेरे का नाम निकले फकीर .
जहाँ हर चाल सियासत हो ,
जहाँ बेगम की बादशाहत हो .
जहाँ हाथी हो ,
ऊंट हो ,
घोड़े हों .
कुछ जियादा हों , थोडें हों .
सबकी एक चाल हो ,
सब मालामाल हों .
कुछ बंद कमरों में हो ,
कुछ सरे आम हो .
और खुद चाहता हो बादशाह
की
इतिहास की फेहरिस्त में - उसका नाम
सबसे ऊपर
सुनहरे हर्फों में हो .
ताकि सनद रहे .
पर ,
इतिहास राजा नहीं लिखता ,
वक्त लिखता है .
उस पर किसका चलता है ?
- गुवाहाटी १८ अक्तूबर , २०००
बहुत सुन्दर व बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं