जीवन की आपाधापी में .
कुछ बीत गया , कुछ छूट गया ,
जो बाक़ी है वह अपना है ,
जो छूट गया वह सपना है .
कुछ माँगा है , कुछ मिलता है ,
कुछ तीखा है , कुछ मखना है .
प्रारब्ध हो ! या प्राप्य हो !
सुर में अटका या टूट गया .
जीवन की आपाधापी में ,
जो बाँटा -वह अपना था
वह रचना थी ! यह रचना है !
Beautiful poem !....revealing the facts of life.
जवाब देंहटाएंMany happy returns of the day to Jairaj ji.