11 अप्रैल 2010

कुछ कदम

कुछ कदम हम आपके साथ चले ,
और कुछ दिन ये मुलाकात चले .
आज शाम से मौसम उदास है ,
चलो कहीं बैठें कुछ बात चले .
उन्ही खतों को बार-बार पढना,
पुरानी शराब थी कई जाम चले .
ये शहर नया , ये लोग नए ,
नया तखल्लुस हो , नया नाम चले .
मुहब्बत में एक दिन ऐसा हो ,
वो बन संवर के मेरे साथ चले .
बेटियां जिंदगी का सरमाया हैं ,
कोई सबब है की कायनात चले .
बहुत दिनों से जुनूं   काबिज है ,
दौरे दीवानगी गजले   ख्याल चले .

1 टिप्पणी:

आपके समय के लिए धन्यवाद !!

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