हर शब्द का हमारा आपका अनुभव अलग है . शब्द के अर्थ हमारे अनुभव के अनुसार हमें सुख-दुःख संताप पीड़ा आह्लाद आनंद शांति द्वेष घृणा प्रेम जैसे उदगार देते हैं - शब्द और अर्थ .मेरे अनुभव और अर्थ का विहंगम . मेरे शब्दों का सफर .
13 अप्रैल 2010
ब्लॉग की दुनिया
मैं ब्लॉग पर किस लिए ? इस प्रश्न का कोई सीधा उत्तर शायद नहीं है . पहले हिंदी पढ़ने की इच्छा होती थी तो बहुत सी पत्रिकाएं मिल जाती थीं . सारिका . धर्मयुग . फिर युग बदल गया . तद्भव , हंस , संवेद, कभी कभी मिलती थीं जब इलाहाबाद या दिल्ली जाना होता था . अब वहां भी यदा कदा ही दिखती हैं . हिंदी पत्रिका के नाम पर हिंदी अनुवाद की पत्रिकाएं ही ज्यादातर या अख़बार में भी अनुवाद ही ज्यादा . हिंदी ब्लॉग में भी लेखक वर्ग तो है पर पाठक भी लेखक ही हैं . मैं लेखक हूँ या पाठक ? ईमानदारी से बोलूँ तो पाठक . पढना चाहता हूँ चिंतन , दृष्टि , संवाद . पर ज्यादातर मिलता क्या है ? अनुवाद, प्रतिक्रिया , या लम्बे लम्बे लेख . पर अनुसन्धान या नयी दृष्टि कम . जीवन से जुड़ाव भी कम . कुछ लोग अच्छा भी लिखते हैं . उन्हें पढना अच्छा लगता है . पर अगर टिपण्णी नहीं भी की तो अच्छा नहीं लगा ऐसा भी नहीं. पर हजारों ब्लॉग में सब पढने के लिए समय भी नहीं मिल पायेगा . न सब लेखों पर टिपण्णी ही संभव होगी . यह एक अंकुरण लगता है . पर लगता है एक ब्लॉग बिना लाग लपेट के अच्छे लेखों को संकलित करे या फिर अछे ब्लोगर्स को . तो शायद एक अच्छी पत्रिका की कमी कुछ हद तक पूरी हो . रविश जी प्रयास करें ऐसा कुछ करने का . पर एक अनुरोध है उसे साम्यवाद , दक्षिण पंथी खेमो में न बांटे . हिंदी के लिए हो वह . देश के लिए हो वह . हमारे आपके लिए हो . हमारे जीवन के लिए हो .
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ब्लाग शुरू करने का विचार तो उत्तम है। शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार !!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें...
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