15 अप्रैल 2010

अपने दोस्त अनुपम गुप्ता को समर्पित

नाराज है तो लड़ ले , गाली दे , आँखे तरेर ,
खामोश ना रह , मुंह ना फेर !
हममे अदावत कई जन्मों से सही ,
अब अल्लाह रहम ! खुदा खैर !
तेरी गाली मुआफ, मेरी खता मंजूर ,
दोनों उसके सामने होंगे, देर सबेर !
तेरे दोस्तों में मेरा शुमार न सही ,
ज़िन्दगी गुजरी नहीं तेरे बगैर .
बचपन छूटा, बचपना रह गया ,
यह कैसा तमाशा , कैसा अंधेर !

3 टिप्‍पणियां:

आपके समय के लिए धन्यवाद !!

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