18 अप्रैल 2011

यन्त्र -तंत्र -षड़यंत्र

यत्र - तत्र - सर्वत्र 
भस्मासुर !
मोहिनी रूप विष्णु का 
अवतार , अभी दूर !
सुरसा की तरह फैलता तंत्र 
नहीं कोई मृत्युंजय मंत्र 
लघु से क्रमिक विकास 
विकिरण फिर ह्रास  
अंकुर से महाकार 
काल से कराल 
उत्तरोत्तर विकराल 
यन्त्र - यंत्रमानव- महायंत्र 
प्रजा , प्रजातंत्र , गणतंत्र 
दल , महादल , दलदल 
आसंग, पासंग , षड़यंत्र 
काल , कलुषित , अन्यत्र 
अजगर का महापाश  
महाकालरात्रि का महाकाश 
फिर उगेगा सूर्य पूर्व  
ज्योतिपुंज महासूर्य 
महाकोटि  प्रभास 
फिर खिलेंगे नव कमल 
मानसरोवर नीलकमल 
आरोहण हो अवतरित होगा 
अभ्युदय  बेला-विप्लव फूटेगा  
यन्त्र -तंत्र -षड़यंत्र 
भस्मीभूत !
खुले त्रिकाल 
तांडव नटराज !

5 टिप्‍पणियां:

आपके समय के लिए धन्यवाद !!

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...